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मधुबनी पेंटिंग से बिहार की बेटी अमेरिका से दुनिया को कोरोना के दौरान उत्साह उमंग का दे रही संदेश

12 Jun 2020.01:08 AM

बिहार न्यूज़ लाइव के प्रधान संपादक राकेश कुमार गुप्ता की खास रिपोर्ट

राकेश कुमार गुप्ता ,नेशनल जर्नालिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह प्रधान संपादक बिहार न्यूज़ लाइव और देश लाइव

अमेरिका: बिहार प्रांत के एक छोटे से शहर, दरभंगा निवासी दीप्ति अग्रवाल ने बचपन से ही अपने दिल में कुछ बड़ा करने का सपना संजो रख़ा था। माता पिता ने उनकी इस हसरत को समझा और स्कूल की शिक्षा शहर में पूरी होने पर उच्च शिक्षा के लिये बैंगलोर भेजा। बैंगलोर के प्रतिष्ठित Christ College से स्नातक के उपरांत दीप्ति ने M.B.A की डिग्री गोल्ड मैडल के साथ प्राप्त की एवं एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में प्रशासनिक पद पर अपना योगदान दिया। वर्ष 2010 में आगरा निवासी इंजीनियर श्री निर्देश मित्तल के साथ विवाह के उपरांत अमेरिका चलीं गयीं।

अमेरिका में काफ़ी अच्छे वेतनमान के साथ उन्हें एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में नौकरी मिली। नौकरी के बंधन में बचपन के सपनों को साकार होता हुआ ना देख दीप्ति ने लगभग नौ साल पहले कॉर्पोरेट जगत को अलविदा कहा और अपनी माता से विरासत में मिली मधुबनी लोक चित्रकला का अमेरिका में प्रसार करने की महत्वकांक्षि योजना बनायी। एक क्रम में दीप्ति ने अमेरिका के विभिन्न शहरों में प्रदर्शनियों, कार्यशालाओं, परिचर्चाओं एवं प्रस्तुतियों के आयोजनो के ज़रिए आम अमेरिका के जनों के बीच मधुबनी पेंटिंग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उपरांत वाशिंगटन राज्य के सीऐटल शहर में Deepti Designs School of Art की स्थापना की। मधुबनी पैंटिंग की बढ़ती लोकप्रियता देख वाशिंगटन राज्यसरकार ने दीप्ति के साथ एक अनुबंधन कर प्रशिक्षण कार्य भी संचालित किया।

आज जब पूरे विश्व के सारे कार्य कलाप कोविद -19 महामारी के कारण लगभग बंद हो चुके हैं और लोग दहशत में हैं । ऐसे में परोपकार की भावना से औतप्रोत दीप्ति ने समस्त मानवजाति के बदरंग हो रहे जीवन में मधुबनी पेंटिंग के ज़रिए क़ुछ रंग भरने की ठानी। साथ में उनका उद्देश्य बच्चों के खली समय का सदुपयोग एवं उन्हें टेलीविज़न और सोशल मीडिया से दूर रख उनके माता पिता को भी राहत पहुँचना था । अमेरिका मैं लॉक डाउन शुरू होते ही मार्च 2020 में सर्वप्रथम दीप्ति ने मधुबनी पेंटिंग के कुछ प्रशिक्षण वीडियो बनाए। इसके बाद अपने स्टूडेंट्स , बच्चों के माता पिता के साथ zoom app की एक मीटिंग में बुलाया और अपना बनाया वीडियो दिखा कर रिमोट ट्रेनिंग दी की किस तरह स्टूडेंट्स को अपना- अपना एक एक वीडियो बनाना है।इस तरह का टास्क दे कर दीप्ति ने बच्चों को एक रचनात्मक एवं समाजिक कार्य में लगाया । सारे बच्चे अति उत्साहित होकर कार्य में जुट गये और उन्होंने इस कार्यक्रम को नाम दिया "Art with Heart"।

मधुबनी पेंटिंग्स के स्टूडेंट बच्चों के फोटो

महक दो सप्ताह में स्टूडेंट बच्चों के वीडियो तैयार होने लगे जिन्हें दीप्ति ने खुद एडिट कर के इंटरनेट पर अपलोड कर दिया। चूँकि इंटरनेट किसी देश , राज्य, जाती, संप्रदाय, रंग, भेद, आदी की सीमा से परे है और साबों को समान रूप से संदेश पहुँचता है। अतः इन बच्चों जी बनायी मधुबनी पेंटिंग्स पूरी दुनिया में देखी और सीखी जाने लगी। अब विभिन्न देशों के विभिन्न आयु - वर्ग के लोगों से उन वीडियो से सीख कर बनायी गयी पेंटिंग्स की फोटोज दीप्ति के पास भेजने लगे। ये सारे videos www.deeptidesigns.com/artwithheart पर देखे जा सकते हैं।

इस कार्यक्रम की लोकप्रियता से प्रभावित हो कर एक स्वयंसेवी संस्था FA3 ने दीप्ति से आग्रह किया की वे प्रायोजित करने के लिए तैयार हैं यदि दीप्ति, art kits बनाकर senior center को दें , ताकि वहाँ रह रहे लोग भी इन वीडियो से मधुबनी पेंटिंग्स सीखने जा लाभ उठा सकें। दीप्ति ने इस नेक कार्य को सहस स्वीकार किया ।

Art with Heart कार्यक्रम के कार्यवहन से लॉक डाउन के कारण मिले अतिरिक्त समय का बच्चों द्वारा ना सिर्फ़ रचनात्मक सदुपयोग हुआ बल्कि आधुनिक संचार माध्यमों से विश्व को जोड़ने एवं जुड़ने की भी सीख मिली। वीडियो देख मधुबनी पेंटिंग्स सीखने वाले लोगों द्वारा भेजे गये छात्रों एवं बच्चों के लिये जो उत्साहवर्धक संदेश थे उससे बच्चों को भी सीख मिली की पेंटिंग केवल सजावट मात्र की ही वस्तु नहीं है बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व के निर्वाह में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।

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