राजस्थान
झालावाड़ जिला कलेक्टर का शहीद की नन्ही बेटी के नाम पत्र

खानपुर(झालावाड़)। जम्मू-कश्मीर में आंतकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हुए मुकुट बिहारी मीणा का 14 जुलाई को खानपुर के तहसील लड़ानिया गांव में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान शहीद की पत्नी और 5 माह की मासूम बेटी को देखकर मौजूदा लोगों की आंखे नम हो गई। जिसके बाद झालावाड़ जिला कलेक्टर डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी ने शहीद की बेटी आरू में नाम एक बेहद मार्मिक पत्र लिखा, जो इस प्रकार हैं...
प्यारी बिटिया आरू,
शुभाशीष ।
आज तुम्हें गोद में उठाए तुम्हारे मामा और परिवार के लोग जब आर्मी के एएसएल में बैठे और थोड़ी देर बाद तुम्हें तुम्हारे शहीद पिता की पार्थिव देहपेटी (कॉफिन) पर बैठाया तो पहले तुमने तिरंगे को छुआ और फिर बिना रोए कॉफिन पर ही लेट गई, तब मैं नहीं जान पाया कि तुम्हारा अबोध मन-मस्तिष्क तुम्हें क्या बतला रहा था।
हो सकता है, कि थोड़ी देर पहले जब तुमने अपने पिता के देह-दर्शन के दौरान चेहरा देखा होगा तो अपरिभाषित जुड़ाव के साथ कॉफिन पर लेट गई होंगी। वो जो कुछ भी था बहुत ही मार्मिक था। मैं और आर्मी के सारे ऑफिसर्स तुम्हें देख रहे थे और मुझे पता है कि सभी अलग-अलग तरीके से सोच रहे होंगे। मगर सोच का केंद्र तुम्हारी मासूमियत और तुम्हारे शहीद पिता थे।
प्रिय आरू, जब तुम थोड़ी बड़ी हो जाओगी, समझोगी और खुद को अभिव्यक्त कर पाओगी तो जानोगी कि तुम्हारे जन्मदाता झालावाड़ की खानपुर तहसील के लगभग सौ घरों की आबादी वाले एक छोटे-से गांव लड़ानिया के सपूत पैराट्रूपर शहीद स्वर्गीय मुकुट बिहारी मीना थे, जिन्होंने कश्मीर में एक सर्च ऑपरेशन में देश के लिए अपनी जान न्यौछावर की थी। शहीद मुकुट बिहारी मीना जो पिता जगन्नाथ, बड़े भाई श्री शंभुदयाल, तीन बहनों कमलेश, सुगना और कालीबाई की आंखों के तारे, उम्मीद तथा हौसला थे और तुम्हारी मां के लिए पूरा जीवन थे,केवल पच्चीस साल के थे और अपनी शहादत से दो माह पहले तुम सबसे मिलकर रक्षाबंधन पर आने का वायदा करके गए थे। लेकिन इस वायदे से कहीं गहरे में और मजबूत दृढ़ता के साथ जो उन्होंने देश के लिए कसम खाई थी, वो उसके लिए क़ुर्बान हो गए और तिरंगे में लिपटकर घर आए थे।
आरू बिटिया, तुम बड़ी होकर जब आज उनके अंतिम संस्कार के फोटो और वीडियो देखोगी तो पता लगेगा कि वो अब पूरे देश के लिए किसी ना किसी संबोधन से जुड़ गए हैं । आज के दिन हजारों लोग उनकी अंतिम यात्रा में थे । लोग तिरंगा उठाए, तिरंगे में लिपटे शहीद के पीछे 'भारत माता की जय' के नारों के साथ चल रहे थे। माननीय मंत्रीगण, सांसद, विधायकगण, अनेक अन्य निर्वाचित जनप्रतिनिधिगण, पुलिस-प्रशासन, आर्मी, मीडिया और पूरे हाड़ौती के अलग-अलग हिस्सों से आए हुए सम्मानित महानुभाव आपके शहीद पिता को श्रद्धासुमन अर्पित करने आए थे। जब पुष्पचक्र से शहीद वंदन हो रहा था, बिगुल बज रहे थे,सलामी फायर हो रहा था तब पूरा आसमान आपके पिता की शहादत के जिंदाबाद के नारों से गूंज रहा था । तुम्हारे पिता अनेक युवाओं के लिए सेना में जाने के लिए प्रेरणा बनेंगे ।
बिटिया आरू, जब बड़ी होकर तुम देश के शहीदों के बारे में पढ़ोगी या कभी किसी सभा/ कार्यक्रम में बोलोगी या शहीदों पर सुनोगी तो यकीन करना कि तुम्हारे चेहरे पर एक फक्र होगा और आंखों में एक गर्वित चमक । तुम अपने शहीद पिता की अंगुली पकड़कर तो बड़ी नहीं होगी मगर उनकी शहादत के किस्से तुम्हें रोज सुनने को मिला करेंगे । जब भी उनकी याद आए तो ध्यान रखना कि कुछ अभाव चुभते हैं मगर तुम्हारे पिता की तरह देश के लिए कुर्बान होने का गौरव सबका नसीब नहीं होता, शहीद अमर होते हैं। तुम्हारे पिता के कॉफिन को कंधा देते हुए जब मैं चल रहा था और 'वन्देमातरम' तथा 'भारत माता की जय' के नारे लग रहे थे तो रोंगटे खड़े हो गए थे । तुम्हारे दादा ने मुखाग्नि देने से पहले अग्निदंडिका को जब तुम्हारे हाथों से छुआकर मुखाग्नि दी थी तो सारी आंखें नम थी ।
आरू, तुम्हारे साथ पूरे क्षेत्र ही नहीं देश के हर जिम्मेदार संवेदनशील नागरिक की दुआएं और आशीर्वाद है । तुम खूब पढ़ना, बढ़ना और अपने पिता की गौरवमयी शहादत को अपना नूर और ग़ुरूर बनाना ।
आशीर्वाद और अशेष शुभकामनाएं
जितेंद्र सोनी
जिला कलेक्टर झालावाड़