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पुलिस वाले अंकल ही बन गए गरीब बच्चों के गुरू, भविष्य संवारने के लिए स्टेशन पर ही खोली पाठशाला

वाराणसी। खाकी वर्दी वालों से तो सभी डरते हैं, लोग उन्हें देखकर ही तरह-तरह के विचार अपने मन में पाल लेते हैं लेकिन कभी-कभी यही खाकी वर्दी वाले कुछ ऐसा काम कर जाते हैं। जिसके बाद उन्हें दिल से सैल्यूट करने का मन करता है। एक बार फिर से खाकी वर्दी वालों ने कुछ ऐसा ही काम किया है, जिसके बाद उनके इस कार्य की मिसाल पूरे देश के सामने दी जा रही है। यह मामला भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का है।
यहां पर वाराणसी स्टेशन पर तैनात कुछ पुलिसकर्मियों ने ऐसे बच्चों का भविष्य संवारने का बीड़ा उठाया है, जो ट्रेनों में खाली बोतलें बीनते हैं और पान-मसाला बेचते हैं। इन्हीं सबके चलते वे नशे के आदी भी हो जाते हैं लेकिन अब वाराणसी पुलिस के कुछ सिपाहियों ने इन मासूम बच्चों के अधर में फंसे भविष्य को संवारने का बीड़ा अपने कंधों पर ले लिया है। ये पुलिसकर्मी इन सभी बच्चों को स्टेशन पर ही मुफ्त शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं और इस कार्य के लिए उन्होंने रेलवे स्टेशन पर ही एक छोटी सी पाठशाला भी खोल दी है। जिसमें प्रतिदिन लगभग 40 बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं और पुलिस वाले अंकल उन्हें तहजीब का पाठ पढ़ाते हैं।
आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि जो पुलिसकर्मी इन्हें शिक्षा प्रदान करते हैं। उनमें जीआरपी के सिपाहियों से लेकर दरोगा और सीओ रैंक के अधिकारी शामिल हैं। यह पाठशाला वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर चार पर चल रही है और यहां पर ये बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। बच्चों के भविष्य सुधारने के लिए की गई इस पहल का श्रेय जीआरपी के सीओ विमल श्रीवास्तव और एसआई विनोद कुमार को जाता है।
यहां पर फालतू घूमने वाले बच्चों को ये जीआरपी के जवान पहले पकड़ते हैं और फिर उन्हें शिक्षा का महत्व समझाते हुए पढ़ाई के लिए राजी करते हैं। इस पाठशाला को यहां के लोग घुमंतू पाठशाला का नाम भी दे चुके हैं। इस पाठशाला की शुरुआत इन पुलिसकर्मियों ने पांच बच्चों के साथ की थी लेकिन आज यहां पर लगभग 40 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
वाराणसी जीआरपी के पुलिस वाले इतने दरियादिल हैं कि ये न केवल इन गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं, बल्कि इन्हें शिक्षा से संबंधित कॉपी-किताब, पेन-पेंसिल और बैग आदि सभी चीजें भी मुहैया कराते हैं। यहां पर हर रोज बच्चों को दो घंटे पढ़ाया जाता है। एसआई विनोद कुमार बताते हैं कि शुरुआत में इन्हें प्राथमिक ज्ञान दिया जा रहा है और जब इन्हें अक्षर का ज्ञान हो जाएगा तो इनका दाखिला भी स्कूल में करा दिया जाएगा। इसके साथ ही विनोद कुमार ने बताया कि इन्हें एक एनजीओ की मदद से कपड़े दिलाने का प्रयास भी किया जा रहा है।
पुलिस के इस चेहरे को देखकर अब यहां के लोग भी बदल रहे हैं। इसके साथ ही इन्हें अब साथी और डेयर नाम के गैर सरकारी संगठनों का साथ भी मिल रहा है। वहीं जीआरपी के सीओ विमल श्रीवास्तव का कहना है कि बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावकों को भी समझाना कठिन होता है लेकिन वे अपने प्रयास में सफल हो जाते हैं। वाकई वाराणसी की जीआरपी पुलिस अपना फर्ज निभाने के साथ-साथ जिस तरह का काम कर रही है उसे देखकर तो उन्हें दिल से एक सैल्यूट तो बनता ही है।