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कोरोना वैक्सीन में सुअर के मांस के इस्तेमाल पर बहस जारी, UAE ने कही ये बड़ी बात...

नई दिल्ली। विश्वभर के इस्लामिक धर्मगुरुओं के मध्य कोरोना वैक्सीन में सुअर के मांस के उपयोग पर बहस चल रही है। इस बीच संयुक्त अरब अमीरात के टॉप इस्लामिक बॉडी ने बोला है कि अगर वैक्सीन में सुअर का मांस हो भी तो उन्हें कोई परेशानी नहीं है और वे टीका लगवाएंगे।
सूत्रों की माने तो, यूएई के शीर्ष इस्लामी निकाय 'यूएई फतवा काउंसिल' ने कोरोना वायरस टीकों में पोर्क के जिलेटिन का उपयोग होने पर भी इसे मुसलमानों हेतु जायज करार दिया है। किन्तु दुनियाभर के इस्लामिक धर्मगुरुओं के मध्य इस बात को लेकर असमंजस है कि सुअर के मांस का उपयोग कर बनाए गए कोविड-19 टीके इस्लामिक कानून के तहत जायज हैं या नहीं।
एक ओर अनेक कंपनियां कोविड-19 टीका बनाने में लगी हुई हैं और कई देश टीकों की खुराक हासिल करने की तैयारियां कर रहे हैं। वहीं, अन्य तरफ कुछ धार्मिक समूहों के जरिए प्रतिबंधित सुअर के मांस से बने उत्पादों को लेकर सवाल उठ रहे हैं, जिसके चलते टीकाकरण अभियान के बाधित होने का संदेश व्यक्त किया जा रहा है।
हालांकि, फाइजर, मॉडर्न तथा एस्ट्राजेनेका के प्रवक्ताओं के मुताबिक, उनके कोविड-19 टीकों में सुअर के मांस से बने उत्पादों का उपयोग नहीं किया गया है, किन्तु अनेक कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया है कि उनके टीकों में सुअर के मांस से बने उत्पादों का उपयोग किया गया है या नहीं। ऐसे में इंडोनेशिया जैसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देशों में चिंता पसर गई है।
इजराइल की रब्बानी संगठन 'जोहर' के अध्यक्ष रब्बी डेविड स्टेव की माने तो, ''यहूदी कानूनों के अनुसार सुअर का मांस खाना या फिर इसका उपयोग करना तभी जायज है जब इसके बिना काम न चले।'' उन्होंने बोला कि अगर इसे इंजेक्शन के तौर पर लिया जाए एवं खाया नहीं जाए तो यह जायज है और इससे कोई परेशानी नहीं है। बीमारी की हालत में इसका उपयोग खास रूप से जायज है।
दरअलस, जिलेटिन जानवरों की चर्बी से मिलता है। जिलेटिन को 'पोर्क जिलेटिन' कहा जाता है। टीकों अथवा दवाओं को बनाने में इसका उपयोग होता है। कई कंपनियों का मानना है कि इसके इस्तेमाल से वैक्सीन का स्टोरेज सुरक्षित एवं असरदार होता है।