आईएनएस विक्रांत एक बार फिर भारतीय समुद्र पर करेगा राज, मेड- इन- इंडिया वर्जन का परीक्षण शुरू। भारतीय नौसेना के शौर्य और शक्ति को प्रदर्शित करने वाले एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत को साल 1997 में नौसेना से बाहर कर दिया गया था।

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खास बात यह है कि नए एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत को भारत में ही बनाया गया है और इसे 50 साल बाद अपने पहले समुद्री परीक्षण के लिए भेजा गया है। आपको बता दें कि 1971 के युद्ध में पुराने आईएनएस विक्रांत ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

नौसेना के प्रवक्ता के द्वारा एक ट्वीट कर जानकारी दी गई है।

आगे लिखा है कि यह भारत में डिजाइन और निर्मित होने वाला अब तक का सबसे बड़ा और सबसे जटिल युद्धपोत है। इसका कई और अनुसरण करेंगे ...।""

आगे नौसेना ने कहा कि सभी स्टेकहोल्डर्स के समर्पित प्रयासों से कोविड-19 चुनौतियों के बावजूद इस बड़ी उपलब्धि का पाना संभव हुआ है।" रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विक्रांत के पहले समुद्री परीक्षणों को " आत्मनिर्भर भारत" के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का सच्चा प्रमाण बताया है।"

राजनाथ सिंह ने कहा कि स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत का पहला समुद्री परीक्षण डिफेंस के लिए ' आत्मनिर्भर भारत' के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का एक सच्चा प्रमाण है। कोविड की परवाह किए बिना इस ऐतिहासिक उपलब्धि का अहसास सभी स्टेकहोल्डर्स के सच्चे समर्पण और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।"

राजनाथ सिंह ने जून में जानकारी दी थी कि आईएनएस विक्रांत अगले साल तक सेवा में सकता है, जो देश की नौसैनिक शक्ति में बेहतर युद्ध क्षमता, रेंज और बहुमुखी प्रतिभा को जोड़ेगा। आपको बता दें कि आईएनएस विक्रांत लगभग 24 रूस निर्मित मिग -29 लड़ाकू जेट विमानों के साथ काम करेगा।

खास बात यह है कि ये वही लड़ाकू विमान हैं, जो पहले से ही आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात हैं। आईएनएस विक्रमादित्य मौजूदा समय में नौसेना का एकमात्र एयरक्राफ्ट कैरियर है।

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