दिल्ली में Zomato, Swiggy, Ola, Uber करेंगे इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल, जानें क्या है वजह
Drive Spark via Dailyhunt
देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे में सरकार भी लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर जाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
अब ताजा जानकारी के अनुसार दिल्ली सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों, खाद्य वितरण सेवाओं और कैब एग्रीगेटर्स को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों पर स्विच करने करने के लिए कहने वाली है।
इसके साथ ही सरकार यह आदेश भी देने वाली है कि सर्विसेज के वाहनों को पेट्रोल पंपों पर तभी ईंधन दिया जाएगा, जब उनके वाहनों के प्रदूषण-अंडर-चेक (PUC) प्रमाण पत्र बने होंगे। अगर इन वाहनों को PUC नहीं होंगे तो उन्हें ईंधन नहीं दिया जाएगा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार देश की राजधानी दिल्ली के वायु प्रदूषण में वाहनों से होने वाले उत्सर्जन का हिस्सा लगभग 38 प्रतिशत है। एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि "सरकार वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए दो बड़े कदम उठाने जा रही है।"
अधिकारी ने बताया कि "हम पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों पर स्विच करने के लिए Zomato, Swiggy, Ola, Uber आदि सहित सभी एग्रीगेटर्स से पूछेंगे। देश की राजधानी दिल्ली में पंजीकृत वाहनों में इन सेवाओं की हिस्सेदारी करीब 30 प्रतिशत है।"
आगे अधिकारी ने बताया कि "हम डीलरों और पेट्रोल पंपों को PUC प्रमाण पत्र के बिना वाहनों को ईंधन की आपूर्ति नहीं करने का निर्देश देने पर भी विचार कर रहे हैं।" बता दें कि इस संबंध में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत निर्देश इसी सप्ताह जारी होने की उम्मीद है।
यह पूछे जाने पर कि क्या एग्रीगेटर्स को इलेक्ट्रिक वाहनों पर स्विच करने के लिए कोई समय सीमा दी जाएगी, परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि "इसे चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा। हम जल्द ही मसौदा दिशानिर्देश प्रकाशित करेंगे।"
जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन नीति अगस्त 2020 में पेश की गई, जिसका उद्देश्य साल 2024 तक कुल वाहन बिक्री में ईवी हिस्सेदारी को 25 प्रतिशत तक बढ़ाना है।
केवल Flipkart (2030 तक) और Fedex (2040 तक) ने अपने डिलीवरी बेड़े को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने के लिए दुनिया भर में लक्ष्य स्थापित किए हैं।
वहीं दूसरी ओर DHL ने अपने बेड़े के लिए 60 प्रतिशत विद्युतीकरण लक्ष्य निर्धारित किया है। अक्टूबर में दिल्ली सरकार ने PUC प्रमाणपत्रों की जांच के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया और इस उद्देश्य के लिए पेट्रोल पंपों पर लगभग 500 टीमों को तैनात किया।
मोटर वाहन अधिनियम, 1993 की धारा 190 (2) के तहत, वैध पीयूसी नहीं रखने वाले वाहन मालिकों पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है, या छह महीने तक की कैद या दोनों हो सकते हैं।
मालिकों को यह सुनिश्चित करने के लिए अपने वाहनों का परीक्षण करवाना आवश्यक है।
वाहन मालिकों को यह देखना होगा कि क्या उनके वाहन कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषकों के उत्सर्जन मानकों को पूरा करते हैं या नहीं? शहर में पेट्रोल पंपों और कार्यशालाओं में लगभग 1,000 अधिकृत प्रदूषण जांच केंद्र स्थापित हैं।
साथ ही, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के अनुपालन में, दिल्ली सरकार 1 जनवरी, 2022 को 10 साल पूरे करने वाले सभी डीजल वाहनों का पंजीकरण रद्द कर देगी और अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी करेगी, ताकि उन्हें अन्य स्थानों पर फिर से पंजीकृत किया जा सके।