मलेशिया में अनवर इब्राहिम के PM बनने से कट्टरपंथी हुए नाराज, पुलिस ने देश
भर में बढ़ाई सुरक्षा व्यवस्था
मलेशिया में चुनाव परिणाम के बाद शुरू हुए गतिरोध के बाद लंबे समय तक देश में
विपक्षी नेता रहे अनवर इब्राहिम ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली है।
पिछले
सप्ताह आम चुनाव के परिणाम आए थे जिसमें पहली बार त्रिशंकु संसद का निर्माण
हुआ था और किसी भी पार्टी को बहुमत हासिल नहीं हुआ था।हालांकि अनवर इब्राहिम के शपथ लेने के बाद अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया है
कि वे किसके साथ गठबंधन करने जा रहे हैं।
फिलहाल अनवर इब्राहिम के
प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में हिंसा की आशंका को देखते हुए पुलिस ने देशभर
में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है।अनवर इब्राहिम बने मलेशिया के PM, कट्टपंथियों का सपना टूटा, हिंन्दू उत्पीड़न
कर सकेंगे खत्म?
सुधारवादी नेता के तौर पर जाने जाते हैं अनवर इब्राहिम
75 वर्षीय अनवर इब्राहिम सुधारवादी नेता के तौर पर जाने जाते हैं जिन्हें
भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर लगभग एक दशक तक जेल में रखा गया।इब्राहिम1990 के
दशक में देश के उपप्रधानमंत्री थे।
1957 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद 2018
में पहली बार मलेशिया में किसी सुधारवादी गठबंधन ने जीत हासिल की थी।
इस
गठबंधन का नेतृत्व अनवर इब्राहिम कर रहे थे और वह तभी पीएम पद हासिल करने वाले
थे लेकिन तभी उनके साथी नेता मुहीद्दीन ने पार्टी से अलग होकर यूएमएनओ से हाथ
मिला लिया था।
सभी समुदायों संग बेहतर संबंध रखते हैं अनवर इब्राहिम
देश में तीसरे सबसे बड़े गठबंधन ने अनवर इब्राहिम के विरोधी गठबंधन को समर्थन
न देने का ऐलान किया है जिससे लगता है कि आने वाले वक्त में इब्राहिम अनवर
स्थिर सरकार चला सकते हैं।
अनवर इब्राहिम का मलेशिया का प्रधानमंत्री बनना
इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि वे देश में बहुसंख्यक मलय समुदाय की राजनीति
नहीं करते बल्कि सभी समुदायों से बेहतर संबंध रखने में विश्वास रखते हैं।
अब
अनवर इब्राहिम के प्रधानमंत्री बनने की खबर से देश में मौजूद अल्पसंख्यक चीनी
और हिन्दू राहत की सांस लेते दिख रहे हैं।
मलेशिया में कट्टरपंथी राजनीति का उभार होगा कम
अनवर इब्राहिम के प्रधानमंत्री बनने से मलेशिया में कट्टरपंथी राजनीति के उभार
को कम करने में मदद मिलेगी।चुनाव में दूसरे नंबर पर रही मुहीद्दीन के गठबंधन
PAS में मलेशिया की कट्टर इस्लामिक पार्टी शामिल है।
पीएएस गठबंधन ने आम चुनाव
में 20 सीटें जीती हैं।यह पार्टियां मलेशिया में कठोर शरिया कानूनों का
समर्थन करती हैं।इससे पहले 2018 के चुनाव में इस गठबंधन को 10 सीटें हासिल
हुई थीं।इस बार दोगुनी सीटें हासिल करना अल्पसंख्य समुदायों के लिए चिंता की
बात मानी जा रही है।
भारत के लिए कितने सही होंगे अनवर इब्राहिम?अक्टूबर 2019 में मलेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री महातीर मोहम्मद ने कश्मीर
मुद्दा छेड़ दिया था और कहा था कि इस पर भारत ने जबरदस्ती कब्जा कर रखा है।
महातीर मोहम्मद द्वारा कश्मीर को लेकर दिए गए विवादित बयान के बाद दोनों देशों
के बीच राजनायिक और कारोबारी रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे इस विषय पर तब अनवर
इब्राहिम ने कहा था कि मलेशिया को भारत के साथ मतभेदों को मैत्रीपूर्ण तरीके
से हल करना चाहिए।
By Sanjay Kumar Jha Oneindia
source: oneindia.com
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