आपके
Gold
पर
हॉलमार्क
असली
है
या
नकली,
इस
तरह
2
मिनट
में
जानें
हॉलमार्किंग
एक
भारतीय
मानक
ब्यूरो (
बीआईएस)
क्वालिटी
सर्टिफिकेट
है
जो
सोने
की
शुद्धता
की
गारंटी
देता
है।
इससे
ये
पता
लगता
है
कि
आपका
सोना
पूरी
तरह
सुरक्षित
है।
मंत्रालय
ने
कहा
था
कि
भारत
में
केवल
30%
सोने
की
ज्वेलरी
की
हॉलमार्किंग
होती
है।
ज्वेलर
यह
दावा
करते
हुए
सोने
की
ज्वेलरी
बेच
देते
हैं
कि
यह
22
कैरेट
का
है।
फिर
भले
ही
वो
ज्वेलरी
असल
में
कम
शुद्धता
वाली
हो।
इस
प्रकार
की
धोखाधड़ी
से
बचने
के
लिए
आपको
असल
हॉलमार्किंग
साइन
के
बारे
में
पता
होना
चाहिए।
हॉलमार्क
वाली
सोने
की
ज्वेलरी
क्यों
खरीदनी
चाहिए?
सोने
की
हॉलमार्किंग
महत्वपूर्ण
है
क्योंकि
यह
खरीदे
गए
सोने
के
आभूषणों
की
शुद्धता
की
पुष्टि
करेगी।
बीआईएस
की
हॉलमार्किंग
स्कीम
के
तहत
रजिस्टर्ड
ज्वेलरों
को
बेचने
से
पहले
अपने
आभूषणों
की
जांच
करानी
चाहिए।
नए
हॉलमार्किंग
नियमों
से
आप
सही
ज्वेलरी
खरीदने
में
सक्षम
होंगे
और
सोना
खरीदते
समय
भ्रम
और
धोखाधड़ी
से
बचेंगे।
क्या
है
गोल्ड
हॉलमार्क
16 जून 2021
से
देश
में
केवल
हॉलमार्क
वाले
जेवर
बिक
पाएंगे।
क्योंकि
देश
में
सोने
की
ज्वेलरी
के
लिए
गोल्ड
हॉलमार्किंग
का
नियम
लागू
हो
चुका
है।
जेवर
बनाने
में
22
कैरेट
गोल्ड
का
ही
इस्तेमाल
होता
और
यह
सोना
91
.6
फीसदी
शुद्ध
होता
है।
हॉलमार्क
और
सोने
की
शुद्धता
अगर
गोल्ड
की
हॉलमार्क
375
है
तो
यह
गोल्ड
37
.5
फीसदी
शुद्ध
सोना
है।
वहीं
अगर
हॉलमार्क
585
है
तो
यह
सोना
58
.5
फीसदी
शुद्ध
है।
750
हॉलमार्क
होने
पर
यह
सोना
75
.0
फीसदी
खरा
है।
916
हॉलमार्क
होने
पर
सोना
91
.6
फीसदी
खरा
है।
990
हॉलमार्क
होने
पर
सोना
99
.0
फीसदी
खरा
होता
है।
अगर
हॉलमार्क
999
है
तो
सोना
99
.9
फीसदी
खरा
है।
सोने
की
शुद्धता
चेक
करने
के
और
भी
तरीके
हैं,
जिनमें
कैरेट
शामिल
हैं।
By
Kashid
Hussain
Goodreturns
source:
goodreturns.in
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