क्या
सच
में
चीन
की
चुनौती
हल्के
में
ले
रही
मोदी
सरकार,
जानिए
क्या
है
अरुणाचल
प्रदेश
में
PM
मोदी
की
अभेद
रणनीति
भारत
और
चीन
के
बीच
पिछले
कुछ
सालों
में
रिश्ते
काफी
खराब
हो
गए
हैं।
जिस
तरह
से
पहले
डोकलान,
फिर
लद्दाख
और
अब
तवांग
में
दोनों
देशों
के
सैनिकों
के
बीच
झड़प
की
खबरें
सामने
आई
हैं।
उसके
बाद
विपक्ष
मोदी
सरकार
पर
चीन
की
चुनौती
को
नजरअंदाज
करने
का
आरोप
लगा
रहा
है।
तीसरा
और
अहम
फ्रंटियर
हाईवे
अरुणाचल
प्रदेश
में
पहले
से
ही
दो
नेशनल
हाईवे
हैं।
इस
हाइवे
की
लंबाई
2000
किलोमीटर
है।
पूर्वोत्तर
भारत
में
मोदी
सरकार
ने
कई
बड़े
और
अहम
प्रोजेक्ट
की
शुरुआत
की
है,
जिसमे
फ्रंटियर
हाईवे
काफी
अहम
है।
चीन
की
चुनौती
को
देखते
हुए
मोदी
सरकार
लाइन
ऑफ
एक्चुअल
कंट्रोल (
LAC)
पर
रोड
कनेक्टिविटी
को
लगातार
बेहतर
करने
में
जुटी
है।
चीन
की
चुनौती
को
देखते
हुए
भारत
बड़े
पैमाने
पर
बॉर्डर
इंफ्रास्ट्रक्चर
प्रोजेक्ट
को
आगे
बढ़ा
रहा
है।
केंद्र
सरकार
ने
2319
किलोमीटर
सड़क
निर्माण
के
कार्य
को
अरुणाचल
प्रदेश
में
मंजूरी
दी
है।
बलिपरा
चाडो
तवांग
सड़क
जोकि
317
किलोमीटर
लंबी
है।
अहम
बात
है
कि
इस
प्रोजेक्ट
में
काफी
लंबी
सुरंग
भी
हैं,
जिसपर
सामान्य
और
सेना
की
गाड़ियां
आसानी
से
चल
सकेंगी।
ऐसे
में
भारतीय
सेना
के
ट्रैफिक
मूवमेंट
का
नहीं
मिल
पाएगी।
गलवान
के
बाद
सरकार
ने
32
सड़कों
को
मंजूरी
दी
थी
जोकि
एलएसी के
करीब
हैं।
इस
प्रोजेक्ट
को
इंडो-
चायना
बॉर्डर
रोड
प्रोजेक्ट
के
दूसरे
चरण
के
तहत
मंजूरी
दी
गई
है।
इस
प्रोजेक्ट
को
सितंबर 2020
में
मंजूरी
दी
गई
है।
केमेंग
हाइड्रोइलेक्ट्रिक
प्रोजेक्ट
को
अगले
साल
पूरा
कर
लिया
जाएगा।
इसका
निर्माण
फरवरी 2005
में
शुरू
हुआ
था।
लेकिन
मोदी
सरकार
ने
इस
प्रोजेक्ट
को
फास्ट
ट्रैक
किया।
LAC
पर
पांच
साल
में
2089
किलोमीटर
सड़क
का
निर्माण
है।
इसके
उमलिंगला
भी
शामिल
है
जिसे
19300
फीट
की
ऊंचाई
पर
तैयार
किया
गया
है।
बीआरओ
ने
पिछले
पांच
सालों
में
2089
किलोमीटर
की
सड़क
एलएसी
पर
तैयार
की।
By
Ankur
Singh
Oneindia
source:
oneindia.com
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