क्यों
कर्नाटक
में
बीजेपी
को
कांग्रेस
नहीं,
येदियुरप्पा
को
लेकर
है
ज्यादा
टेंशन ?
कर्नाटक
में
अगले
साल
विधानसभा
का
चुनाव
होना
है।
बीजेपी
चुनाव
जीतने
की
रणनीति
बनाने
के
लिए
अभी
से
जुटी
हुई
है।
कभी
हलाल
का
मुद्दा
उछाला
जाता
है
और
कभी
विधानसभा
में
वीर
विनायक
दामोदर
सावरकर
की
तस्वीर
लगाकर
कांग्रेस
को
उसका
विरोध
करने
का
मौका
दिया
जा
रहा
है।
लेकिन,
बीजेपी
की
असल
चुनौती
उसके
घर
में
ही
है।
कर्नाटक
में
अगले
साल
होने
वाले
विधानसभा
चुनाव
को
लेकर
अपने
कार्यकर्ताओं
में
जोश
भरने
के
लिए
बीजेपी
ने
राज्य
में
संकल्प
यात्राएं
शुरू
की
हैं।
हालांकि,
पार्टी
के
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
जेपी
नड्डा
ने
दखल
देकर
स्थिति
पर
छिछालेदार
होने
से
बचा
लिया।
कर्नाटक
नेतृत्व
भी
उनकी
अहमियत
को
समझता
है।
येदियुरप्पा
हाल
ही
में
एक
बैठक
के
दौरान
येदियुरप्पा
ने
इशारों
में
बताया
था
कि
उन्हें
ना
तो
किनारे
किया
जा
सकता
है
या
ना
ही
नजरअंदाज
किया
जा
सकता
है।
इसके
बाद
मुख्यमंत्री
को
सफाई
देनी
पड़ी
थी
कि
उनका
सीनियर
नेता
के
साथ
कोई
भी
मतभेद
नहीं
है।
येदियुरप्पा
भाजपा
से
अलग
अपनी
केजेपी
पार्टी
बनाकर
चुनाव
लड़ा
था
और
9
.5
फीसदी
वोट
लेकर
बीजेपी
का
हिसाब
चुकता
किया
था।
यह
तब
हुआ
था
जब
येदियुरप्पा
पर
भ्रष्टाचार
के
गंभीर
आरोप
लगे
थे
और
बीजेपी
ने
मजबूरन
उनसे
कन्नी
काटने
की
कोशिश
की
थी।
येदियुरप्पा
पार्टी
के
एक
वरिष्ठ
नेता
के
मुताबिक
उनके
मामले
में
थोड़ी
सी
भी
चूक
पार्टी
को
बहुत
भारी
पड़
सकती
है।
हासिल
हो
पाया
है,
येदियुरप्पा
अपने
बेटे
को
ही
अपना
राजनीतिक
उत्तराधिकारी
मानते
हैं।
By
Anjan
Kumar
Chaudhary
Oneindia
source:
oneindia.com
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