विदिशा के किसान ने जगाई अलख, अब गांव में 300 बीघा में हो रही औषधीय पौधों की खेती
मध्य प्रदेश के किसान सोयाबीन छोड़कर अन्य फसलों में भी रूचि ले रहे हैं।
इन दिनों प्रदेश के किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर व्यावसायिक ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं।
इसका एक उदाहरण विदिशा जिले की नटेरन तहसील के गांव पाली में देखने को मिल रहा है।
पाली गांव के किसान लखनलाल पाठक ने अश्वगंधा की खेती करके गांव की समृद्धि के नए द्वार खोल दिए हैं।
किसान लखन लाल ने बताया कि 2013 में सीहोर के कृषि महाविद्यालय में प्रशिक्षण शिविर में आत्मा परियोजना के बारे में जानकारी ली थी।
इसके बाद ही उन्होंने अगले साल यानी 2014 से अश्वगंधा की खेती शुरू कर दी। शुरू में मन में कई सवाल आए। ऐसे में उनके मन में अश्वगंधा को लेकर कई सवाल खड़े हुए।
लखनलाल बताया कि एक बीघा जमीन में दो तीन कुंटल अश्वगंधा का उत्पादन होता है, जिसका मूल्य 35 से ₹40 हजार प्रति क्विंटल मिलता है।
अब गांव के 70 से 80% किसान अश्वगंधा की खेती कर रहे हैं। गांव में लगभग 300 बीघा जमीन में औषधीय खेती हो रही है।
अश्वगंधा की खेती सितंबर अक्टूबर के महीने में होती है सबसे ज्यादा की जाती है।
भारत में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में अश्वगंधा की खेती सबसे ज्यादा की जाती है।
अश्वगंधा के फल, बीज और छाल का प्रयोग कई प्रकार की दवाइयां बनाने में किया जाता है। इसके बीज का अंकुरण सात से आठ दिन में हो सकता है।
अश्वगंधा के पौधे की कटाई जनवरी से लेकर मार्च के बीच की जाती है।
शमशाबाद को औषधि तहसील बनाने का लक्ष्य नटेरन तहसील के पाली गांव में किसानों का कहना है कि क्षेत्र के अधिक से अधिक किसानों को अश्वगंधा की खेती के बारे में जागरूक कर रहे हैं।
किसान लखन लाल ने बताया कि औषधि निर्माण और बिक्री के लिए आयुष विभाग से लाइसेंस लेकर कंपनी बनाई।
By Laxminarayan Malviya Oneindia source: oneindia.com Dailyhunt