Ramcharitmanas Controversy को लेकर दो धड़ों में बंटी सामाजवादी पार्टी,
जानिए इसकी वजहें
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (MLC) स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरितमानस के श्लोकों पर विवादास्पद टिप्पणी के बारे में पार्टी के अध्यक्ष की अस्पष्टता ने पार्टी को दो धड़ों में विभाजित कर दिया है।
रामचरितमानस के मुद्दे को लेकर सपा नेताओं में ब्राह्मण और ठाकुर नेता जहां सपा की लाइन को लेकर नाखुशी जाहिर की है।
सपा अभी तक सपा के किसी वरिष्ठ नेता ने स्वामी प्रसाद मौर्य की विवादित टिप्पणी का समर्थन नहीं किया है।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'पार्टी अपने विकल्पों पर विचार कर रही है और स्पष्ट तस्वीर यूपी विधानसभा के बजट सत्र के दौरान ही सामने आएगी, अगर विपक्ष के नेता अखिलेश यादव इस मुद्दे को सदन में उठाने का फैसला करते हैं।'
गैर यादव ओबीसी वोट खिसकने से ही कई चुनाव हार चुकी है।सपा 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों में 111 सीटों पर अपनी सीटों में काफी सुधार किया।सपा उस।
जमीन को फिर से हासिल करने के लिए बेताब है, जिसे वह बीजेपी से हार चुकी है
बीजेपी को उसी के हथियार से काउंटर करेगी सपा नेताओं का एक वर्ग सपा की जातीय पहचान को फिर से स्थापित करने के उद्देश्य से पार्टी द्वारा आक्रामक रुख का समर्थन करता है।
उनका तर्क है कि ओबीसी और एससी के बीच पार्टी द्वारा तेजी से की जा रही घुसपैठ का मुकाबला करने के लिए जातिवादी राजनीति ही एकमात्र तरीका है।
अखिलेश नेता ने कहा कि तुलसीदास के कुछ हिस्सों पर टिप्पणियों पर रक्षात्मक होने के बजाय, इसने हमें एकमात्र पार्टी के रूप में पेश करने का अवसर प्रदान किया है जो सबसे पिछड़े वर्गों के कारणों का समर्थन कर सकती है।
इस नेता ने तर्क दिया कि मौर्य के पीछे अपना वजन डालकर एक तरह से सपा पूर्वांचल में ओम प्रकाश राजभर की काट खड़ा कर रही है।
सपा राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो सपा रामचरितमानस विवाद को लेकर जल्दबाजी में है।
ऐसा लग रहा है कि सपा से इस मामले में चूक हो गई है क्योंकि सपा ने जो राग छेड़ा है उससे बीजेपी तो परेशान है लेकिन क्या सपा इस मुद्दे को ज्यादा दिन तक जिंदा रख पाएगी।
By Vidya Shanker Rai Oneindia
source: oneindia.com
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