छत्तीसगढ़ के बारनवापारा में गूंजेगी बाघ की दहाड़, मध्य प्रदेश से लाये जायेंगे Tigers
छत्तीसगढ़ के जंगलो जल्द ही बघेल की दहाड़ गूंजेगी।
जिस प्रकार मध्यप्रदेश के जंगलो में साउथ अफ्रीका चीतों को लाकर बसाया जा रहा है, उसी तरह बाघों को बाहर से लाकर रायपुर वन मंडल के बारनवापारा अभ्यारण्य में बसाया जाएगा।
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की टीम जल्द ही सर्वे करके टाइगर का घर तलाशेगी।
छत्तीसगढ़ के बारनवापारा जंगल में 12 साल पहले बाघ दिखाई दिया था।
वन विभाग का कहना है कि 1970 के दशक में बारनवापारा क्षेत्र 25 से 30 बाघ हुआ करते थे, तु इस इलाके में इंसानी बस्तियों के तेजी से बढ़ने के कारण जानवरों की संख्या कम हो गई।
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों का दल बारनवापारा में रहकर जानेगा कि यह स्थान बाघों के लिए उपयुक्त है कि नहीं, फिर अपनी रिपोर्ट केंद्रीय वन मंत्रालय को भेजकर महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के जंगलों से बाघों को यहां लाकर बसाने की स्वीकृति मांगी जाएगी।
18 गांव को शिफ्ट करने की योजना बारनवापारा अभ्यारण्य के काेर क्षेत्र में पूर्व में 21 गांव थे, जिसमे से 3 गांवों को जंगल की सीमा के बाहर बसा दिया गया है।
बाघों को लाने से पहले जंगल में बसे 18 गांव को शिफ्ट करने की योजना है, जिसमे संबंध में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जा चुका है।
वहां से मुहर लगते ही गांवों की शिफ्टिंग का काम शुरू कर दिया जायेगा।
4 बाघों का जोड़ा लाने की योजना मिली जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ के जंगलो में मध्यप्रदेश के जंगल से 4 बाघों का जोड़ा लाने की योजना है।
जिन्हे घने जंगल के मध्य 25 से 30 एकड़ में बाड़ बनाकर रखा जाएगा, फिर नए इलाके में माहौल के अनुरूप घुलमिल जाने के बाद उन्हें एक- एक करके छोड़ दिया जायेगा।
बारनवापारा की सीसीएफ वाइल्ड लाइफ प्रनीता पॉल का कहना है कि हमारी तरफ से बाघों को लाने के तैयारी पूरी हो चुकी है।
By Dhirendra Giri Goswami Oneindia source: oneindia.com Dailyhunt